संभोगक्रिया से सम्बंधित रोग (Coition)
परिचय- संभोगक्रिया से सम्बंधित रोग स्त्री या पुरुष दोनों ही को हो सकता है।
जैसे- पुरुषों में शुक्राणु न होने के कारण संभोगक्रिया के समय कोई परेशानी न हो लेकिन पुरुष संतान पैदा करने में असमर्थ हो, पुरुष नपुंसक हो जिसके कारण वह संभोगक्रिया में भी कामयाब न हो, पुरुषों में संभोगक्रिया की बहुत तेज इच्छा हो।
स्त्रियों में संतान पैदा करने की क्षमता न हो (बांझपन), संभोगक्रिया के समय बहुत ज्यादा परेशानी हो, संभोगक्रिया से अरुचि हो जाए और संभोगक्रिया से पूरी तरह संतुष्ट न हो, संभोगक्रिया करने से किसी तरह का रोग पैदा हो जाए, संभोगक्रिया करने की बहुत तेज इच्छा हो।
पुरुषों के संभोगक्रिया से सम्बंधित रोग-
पुरुषों के वीर्य में शुक्राणु न होना- नपुंसकता के रोग में रोगी को जो औषधियां दी जाती है वे ही औषधियां वीर्य में शुक्राणुओं की कमी होने पर या न होने पर दी जाती हैं क्योंकि इन औषधियों के दिए जाने के बाद पुरुष संतान पैदा करने में समर्थ हो जाता है।
चिकित्सा-
1. टरनेरा (डेमियाना)- संभोग-सम्बंधी स्नायविक कमजोरी (सेक्सुअल नेयूरस्थेनिआ) के कारण नपुंसकता पैदा हो जाना, मूत्राशय-मुखशायी-ग्रन्थि का स्राव तो बन जाता है लेकिन उसमें शुक्राणु नहीं होते तो ऐसे रोगियों को टरनेरा औषधि के मूल-अर्क की 30-40 बूंदों को गुनगुने पानी में मिलाकर रोजाना 2-3 बार देना चाहिए। स्त्रियों में भी अगर संभोगक्रिया में अनुकूल प्रतिक्रिया न हो (फ्रीगीडीटी ऑफ फिमेलद्ध तो भी ये औषधि बहुत अच्छा असर करती है।
2. चिनिनम-सल्फ- पुरुष के वीर्य में शुक्राणुओं के न होने के साथ अगर संभोगक्रिया की इच्छा न हो या बिना किसी कारण से संभोगक्रिया का मन न करता हो तो ऐसे में रोगी को चिनिनम-सल्फ औषधि की 3 या 30 शक्ति का सेवन कराना लाभकारी रहता है।
3. स्ट्रिकनीनम- अगर पुरुष की संभोगक्रिया की इच्छा इतनी तेज हो कि स्त्री को जरा सा छूते ही उसकी ये इच्छा बढ़ जाए, अंडकोष सख्त हो जाए, वीर्य में शुक्राणु न हो तो ऐसे लक्षणों में उसे स्ट्रिकनीनम औषधि की 3 या 30 शक्ति देने से लाभ मिलता है। स्त्रियों की संभोग करने की इच्छा तेज होने पर भी ये औषधि दी जा सकती है।
4. कोनायम- कोनायम औषधि का `ग्रन्थियों´ पर बहुत ही अच्छा असर होता है। शुक्राणु अंडकोषों से ही आते हैं जो खुद ही ग्रन्थियां है, अगर पुरुष को नपुंसकता के साथ वीर्य में शुक्राणु भी न हो, यौन उत्तेजना न हो या बहुत ही कम हो, पुरुष स्त्री के साथ यौन-सम्बंध बनाने के काबिल न हो, स्त्री के जरा सा छूते ही उसका वीर्यपात हो जाए तो इस प्रकार के लक्षणों में रोगी को कोनायम औषधि की 200 शक्ति देने से लाभ मिलता है।
5. आयोडम- अगर वीर्य में शुक्राणु न होने के कारण अण्डकोषों में सूजन आ जाए या वह सख्त हो जाए, अंडकोषों में पानी भर जाए, सूजन आ जाए तो ऐसे रोगी को आयोडम औषधि की 3 या 30 शक्ति दी जा सकती है। यह औषधि स्त्रियों के स्तनों में सूजन आने पर भी प्रयोग की जा सकती है।
पुरुष नपुंसकता होने के साथ उसमें संभोग करने की भी शक्ति न हो (इमपोटेन्सि और डिसिरेडिक्रेसेड)-
चिकित्सा-
1. नूफर-ल्यूटियम- पुरुष में संभोगक्रिया की इच्छा न होना (सेक्सुअल डिसिर), नपुंसकता, पेशाब करते समय या मलक्रिया के दौरान वीर्य अपने आप ही निकल जाना, लिंग का ढीला पड़ जाना जैसे लक्षणों में रोगी को नूफर-ल्यूटियम औषधि का मूल-अर्क या 6 शक्ति देने से लाभ मिलता है।
2. ओनोस्मोडियम- पुरुष और स्त्री दोनों में ही संभोगक्रिया की इच्छा के बिल्कुल समाप्त हो जाने पर ओनोस्मोडियम औषधि की C.M की एक मात्रा देने से बहुत ज्यादा लाभ मिलता है। इससे स्त्री और पुरुष दोनों में ही यौन-उत्तेजना पैदा हो जाती है, बांझ स्त्रियां भी संतान पैदा करने में समर्थ हो जाती है।
3. कैलेडियम- कैलेडियम औषधि का जननांगों पर बहुत अच्छा असर होता है। हस्तमैथुन के कारण पुरुष को नपुंसकता पैदा हो जाना, आधी नींद की अवस्था में लिंग का उत्तेजित हो जाना लेकिन नींद से जागने के बाद उत्तेजना का पूरी तरह से समाप्त हो जाना, जननांगों में खुजली होना, स्त्री के साथ संभोगक्रिया करते समय वीर्य का न निकलना और संभोगक्रिया में पूरी तरह संतुष्ट न होना जैसे लक्षणों में कैलेडियम औषधि की 3 या 6 शक्ति देने से लाभदायक रहता है।
4. लाइकोपोडियम- ज्यादा उम्र में शादी करने वाले पुरुषों में नपुसंकता के लक्षण पैदा हो जाने पर रोगी को लाइकोपोडियम औषधि की 200 शक्ति देने से लाभ मिलता है।
5. स्टैफिसैग्रिया- पुरुषों में ज्यादा विषय-भोग के कारण नपुसंकता पैदा हो जाने पर स्टैफिसैग्रिया औषधि की 3 या 30 शक्ति दी जा सकती है।
6. नैट्रम-म्यूर- पुरुष कीं संभोगक्रिया करने के बहुत देर बाद वीर्य-पात न होने पर नैट्रम-म्यूर औषधि की 30 या 200 शक्ति लेना लाभकारी रहता है।
7. योहिम्बीनम- स्नायविक-नपुंसकता (नेरूरस्थेनिक इमपोटेन्सि) में रोगी को योहिम्बीनम औषधि का मूल-अर्क या 3 शक्ति देने से बहुत लाभ मिलता है।
8. सैबल-सेरुलेटा- पुरुष के जननांग ठंडे पड़ जाना, लिंग और अण्डकोष का सिकुड़ जाना जैसे लक्षणों में रोगी को सैबल-सेरुलेटा का मूल-अर्क या 3 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
पुरुषों में यौन-उत्तेजना का तेज होना-
(डेसिरे इनक्रेसेड)-
चिकित्सा-
1. फ्लोरिक-ऐसिड- पुरुष में अगर यौन-उत्तेजना बहुत तेज हो जाती है, उसको अपनी बीबी से संभोग करने से भी यौन-उत्तेजना शांत नहीं होती, बहुत सारी स्त्रियों से संभोगक्रिया करता हो, हर समय आने-जाने वाली स्त्रियों को वासना भरी नज़रों से देखता रहता है, उस पर हर समय यौन-उत्तेजना चढ़ी हुई रहती है जिसके कारण उसे अपने सगे-सम्बंधी भी नज़र नहीं आते तो ऐसे लक्षणों वाले रोगी को फ्लोरिक-ऐसिड औषधि की 6 या 30 शक्ति देना लाभकारी रहता है। ऐसी कामुक स्त्रियों को भी यह औषधि दी जा सकती है।
2. फॉस्फोरस- रोगी में बार-बार यौन उत्तेजना तेज हो जाती है, रोगी अपने मन से कामुक विचारों को निकालना चाहता है लेकिन निकाल नहीं पाता। इस तरह के लक्षणों में रोगी को फॉस्फोरस औषधि की 30 शक्ति देना लाभकारी रहता है।
3. ओरिगैनम- ओरिगैनम औषधि की 3 शक्ति का उपयोग हस्त-मैथुन करने वाले स्त्री-पुरुष के लिए बहुत ही लाभकारी रहती है।
स्त्री के यौन-सम्बंधी रोग-
स्त्री का बांझ होना-
चिकित्सा-
4. सीपिया- स्त्रियों के बांझपन को दूर करने के लिए सीपिया औषधि बहुत ही उपयोगी साबित होती है। स्त्री का शरीर ऊपर से नीचे तक एक ही जैसा होता है, नितंब का भाग भी भरा हुआ नहीं होता जिसके कारण वह गर्भ को सम्भाल नहीं सकती, मासिकधर्म अनियमित होता है, प्रदर (योनि में से पानी आना) होता है, पेट में कब्ज बनती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी स्त्री को सीपिया औषधि की 30 या 200 शक्ति दी जा सकती है।
5. बैराइटा-कार्ब- स्त्रियों में डिम्ब-ग्रिन्थयों तथा स्तनों के सूख जाने पर अगर बांझपन पैदा हो तो उसे बैराइटा-कार्ब औषधि की 30 शक्ति देना लाभकारी रहता है।
6. ऑरम-म्यूर-नैट्रोनेटम- होम्योपैथिक चिकित्सा में ऑरम-म्यूर-नैट्रोनेटम औषधि को स्त्रियों के बांझपन को दूर करने में बहुत ही खास माना जाता है। इस औषधि की 2x और 3x मात्रा स्त्री के गर्भाशय के रोगों को दूर करके उनको गर्भधारण करने में मदद करती है।
7. पल्सेटिला, सीपिया, कैलकेरिया-कार्ब- एक बहुत ही महान होम्योपैथिक चिकित्सक के अनुसार पल्सेटिला, सीपिया और कैलकेरिया-कार्ब औषधियों का स्त्रियों की जननेन्द्रियों पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ता है। यह तीनों औषधियां स्त्री के हारमोन्स को सक्रिय कर देती है। इन तीनों औषधियों को नियमित रूप से सेवन करने से बांझ स्त्री भी मां बनने में सक्षम हो जाती हैं।
8. ऐलैट्रिस-फैरिनोसा- जो स्त्रियां गर्भाशय की कमजोरी के कारण मां नहीं बन पाती हैं उन्हें ऐलैट्रिस-फैरिनोसा औषधि का सेवन करना चाहिए। इससे गर्भाशय मजबूत बनता है और वे गर्भधारण करने के काबिल हो जाती है। रोगी स्त्री को समय से पहले और बहुत ज्यादा मात्रा में मासिकस्राव आना और इसके साथ ही प्रसव के जैसा दर्द होने पर इस औषधि का मूल-अर्क या 3 शक्ति सेवन करने से लाभ मिलता है।
9. बोरेक्स तथा मर्क-सोल- अगर किसी स्त्री को मासिकधर्म की गड़बड़ी के कारण गर्भ न ठहरता हो तो ऐसी स्त्री को संभोगक्रिया करने से आधे घंटे पहलेबोरेक्स औषधि की 6x की एक मात्रा देनी चाहिए और संभोगक्रिया करने के आधे घंटे बाद एक मात्रा देनी चाहिए। अगर पुरुषों के वीर्य सम्बंधी दोष के कारण स्त्री को गर्भ न ठहरता हो तो उन्हें संभोगक्रिया करने से आधे घंटे पहले मर्क-सोल औषधि की 200 शक्ति की एक मात्रा और संभोगक्रिया करने के आधे घंटे बाद एक मात्रा देनी चाहिए। इससे उस स्त्री को गर्भ ठहर जाता है। बोरेक्स औषधि के सेवन से गर्भाशय के दोष दूर होकर स्त्री गर्भधारण करने में सक्षम हो जाती है।
स्त्री को संभोगक्रिया करते समय परेशानी होना-
पेनफुल कोएशन-
चिकित्सा-
1. फेरम-मेट- रोगी स्त्री को संभोगक्रिया करते समय बहुत ज्यादा दर्द होता है, संभोगक्रिया करने के बाद खून बहता है, योनि बहुत ज्यादा असहनीय हो जाती है, योनि में काटता हुआ सा दर्द होता है। इस तरह के लक्षणों वाली स्त्री को फेरम-मेट औषधि की 2 या 6 शक्ति देनी चाहिए।
2. क्रियोसोट- पुरुष के साथ संभोगक्रिया करने के बाद स्त्री के जननांगों में दर्द होने पर क्रियोसोट औषधि की 30 या 200 शक्ति का सेवन करना लाभकारी रहता है।
3. अर्जेन्टम-नाइट्रिकम- संभोगक्रिया करते समय दर्द होना, बहुत ज्यादा मात्रा में प्रदरस्राव आना, गर्भाशय का मुंह छिल जाता है और उसमें से खून निकलने लगता है जैसे लक्षणों वाली स्त्री को अर्जेन्टम-नाइट्रिकम औषधि की 3 या 30 शक्ति देने से लाभ मिलता है।
4. लाइसिन (हाइड्रोफोबीनम)- स्त्री का गर्भाशय बहुत ही ज्यादा नाजुक हो जाता है, रोगी स्त्री को ऐसा महसूस होता है जैसे कि उसके पेट में गर्भाशय पहुंच गया है, संभोगक्रिया करते समय उसे बहुत ज्यादा दर्द होता है। इन लक्षणों में रोगी स्त्री को लाइसिन औषधि की 30 शक्ति दी जा सकती है।
5. सीपिया- रोगी स्त्री को संभोग करते समय बहुत ज्यादा दर्द होता है और इसी के साथ उसे प्रदरस्राव भी होता रहता है। इन लक्षणों के आधार पर रोगी स्त्री को सीपिया औषधि की 200 शक्ति दी जा सकती है।
6. हाईड्रैस्टिस- रोगी स्त्री को जननांगों में दर्द होने के साथ ही संभोग करने की इच्छा बनी रहती है, रोगी स्त्री के प्रदरस्राव का रंग अण्डे के अन्दर के सफेद भाग की तरह का होता है। इस प्रकार के लक्षणों वाली रोगी स्त्री को हाईड्रैस्टिस औषधि की 30 शक्ति देना लाभकारी रहता है।
संभोगक्रिया के समय पूरी तरह संतुष्टि न होना-
चिकित्सा-
1. बरबेरिस-वलगेरिस- रोगी स्त्री को पुरुष के साथ संभोग करते समय बिल्कुल भी संतुष्टि न होना, संभोगक्रिया करते समय योनि में बहुत तेज दर्द होता है जो जांघों के नीचे तक पहुंच जाता है, रोगी स्त्री को अक्सर पथरी का रोग हो जाया करता है। इन लक्षणों वाली रोगी स्त्री को बरबेरिस-वलगेरिसऔषधि का मूल-अर्क या 6 शक्ति का प्रयोग कराया जा सकता है।
2. कॉस्टिकम- स्त्री के अन्दर यौन-उत्तेजना का बहुत ही कम होना, संभोगक्रिया करते समय बिल्कुल संतुष्टि न होना जैसे लक्षणों में कॉस्टिकमऔषधि की 30 शक्ति देना लाभकारी रहता है।
3. सीपिया- संभोगक्रिया करते समय रोगी स्त्री को बिल्कुल भी खुशी न होने के साथ-साथ संभोगक्रिया से बिल्कुल नफरत सी हो जाना आदि लक्षणों में रोगी स्त्री को सीपिया औषधि की 200 शक्ति देने से आराम मिलता है।
यौन-सम्बंध बनाने से पहले और बाद में किसी तरह का रोग पैदा हो जाना-
चिकित्सा-
1. सीपिया- रोगी स्त्री को संभोगक्रिया करने के बाद प्रदर रोग हो जाना या प्रदर का स्राव ज्यादा हो जाना जैसे लक्षणों में सीपिया औषधि की 200 शक्ति देना लाभकारी रहता है।
2. हाईड्रैस्टिस- स्त्री का संभोगक्रिया के बारे में सोचना ही बर्दाश्त न होना, रोगी स्त्री का प्रदरस्राव अंडे के अन्दर के सफेद भाग की तरह का आता है और प्रदरस्राव के समय उसकी तबीयत खराब हो जाती है। इस तरह के लक्षणों वाली स्त्री को हाईड्रैस्टिस औषधि की 30 शक्ति देनी चाहिए।
3. ऐम्ब्रा-ग्रीसिया- रोगी स्त्री को संभोगक्रिया करने के बाद दमा रोग उठ जाना जैसे लक्षणों में ऐम्ब्रा-ग्रीसिया औषधि की 2 या 3 शक्ति का प्रयोग बहुत ही अच्छा रहता है। इस औषधि को रोगी स्त्री को बार-बार दिया जा सकता है।
4. क्रियोसोट- संभोगक्रिया करते समय तथा बाद में रोगी स्त्री की योनि में जलन होने पर उसे क्रियोसोट औषधि की 30 या 200 शक्ति देने से लाभ मिलता है।
5. स्टैफिसैग्रिया- रोगी स्त्री को संभोगक्रिया के बाद सांस के भारी होने पर स्टैफिसैग्रिया औषधि की 3 या 30 शक्ति देनी चाहिए।
6. कैक्टस- संभोगक्रिया करते समय स्त्री की योनि सिकुड़ जाने पर उसे कैक्टस औषधि का मूल-अर्क या 3 शक्ति का प्रयोग कराया जा सकता है।
7. फॉस्फोरस- स्त्री को संभोगक्रिया करते समय अपनी योनि में किसी तरह की अनुभूति न होने पर फॉस्फोरस औषधि की 30 शक्ति लेनी चाहिए।
8. लाइकोपोडियम- रोगी स्त्री को संभोग करते समय तथा बाद में योनि में बहुत तेज जलन सी महसूस होना, योनि का बिल्कुल सूख जाना, जांघ के जोड़ों में ऐसा भारीपन महसूस होता है जैसे कि उसको मासिकस्राव आने वाला हो। इन लक्षणों वाली रोगी स्त्री को लाइकोपोडियम औषधि की 30 शक्ति देनी चाहिए।
9. सेड्रन- स्त्री को संभोगक्रिया करने के बाद बोलने में हकलाहट सी होने पर सेड्रन औषधि का मूल-अर्क या 3 शक्ति देनी चाहिए।
संभोग करने की इच्छा बहुत तेज होना (यौनोन्माद)-
1. मौसक्स- रोगी स्त्री को अपनी योनि में गुदगुदाहट सी महसूस होने के कारण संभोग करने की इच्छा होने पर मौसक्स औषधि की 1 या 3 शक्ति देना लाभकारी रहता है।
2. प्लैटिना- प्लैटिना औषधि को स्त्री रोगों की एक बहुत खास औषधि मानी जाती है। कुंवारी युवतियों में संभोग करने की इच्छा होते रहना, गर्भवती स्त्रियों में यौन-उत्तेजना का तेज हो जाना आदि लक्षणों के आधार पर उसे प्लैटिना औषधि की 6X मात्रा या 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
3. हायोसाएमस- रोगी स्त्री हर किसी को अपने जननांग दिखाती रहती है एवं सबसे अश्लील बातें करती है। ऐसे लक्षणों में हायोसाएमस औषधि की 30 शक्ति दी जा सकती है।
4. फॉस्फोरस- विधवा स्त्रियों में संभोग करने की इच्छा उठते रहने पर फॉस्फोरस औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराना लाभकारी रहता है।
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