Wednesday, November 13, 2019

बाघी (गांठ) (Bubo)

बाघी (गांठ) (Bubo)

परिचय- किसी व्यक्ति को सूजाक या उपदंश रोग के कारण सूजी हुई, दर्द भरी, लाल रंग की, गर्म और सख्त जो गांठ उत्पन्न होती है उसे बाघी कहते हैं। इसके बाद बाघी में पीब पैदा होकर वह पक जाती है। इस समय रोगी को अक्सर ठण्ड लगने के साथ बुखार आ जाता है।
बाघी रोग की विभिन्न औषधियों द्वारा चिकित्सा-
1. मर्क-सोल- सूजाक रोग के या उपदंश रोग के कारण पैदा हुई बाघी (गांठ) के लिए मर्क-सोल औषधि की 3 या 6 शक्ति देने से लाभ मिलता है।
2. नाइट्रिक-एसिड- रोगी के ज्यादा समय से मर्करी या पारे का सेवन करने पर नाइट्रिक-एसिड औषधि की 6 शक्ति का प्रयोग करना अच्छा रहता है।
3. कार्बो-ऐनिमेलिस या बैडियागा- अगर बाघी के रोगी को बताई गई औषधि से 60 घंटों के अन्दर किसी तरह का लाभ न नज़र आए तो रोगी को कार्बो-ऐनिमेलिस औषधि की 6 या बैडियेगा औषधि की 3 शक्ति सेवन कराई जानी चाहिए।
4. हिपर-सल्फर- बाघी के पक जाने पर या उसमें बहुत ज्यादा पीब पैदा हो जाने पर रोगी को हिपर-सल्फर औषधि की 6 या 200 शक्ति का सेवन कराना लाभकारी रहता है।
5. सिलिका- नली के जख्म या नासूर होने का लक्षण महसूस होने पर रोगी को सिलिका औषधि की 3X मात्रा या 3 शक्ति देने से लाभ मिलता है।


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