रोग और उसमें प्रयोग की जाने वाली औषधियां :-
1. हिपोजेनियम :- नाक के अन्दर की झिल्ली में जख्म बनकर सड़ने लगा हो जिसके कारण रोगी खर्राटे लेता हों या नाक के अन्दर पुरानी सूजन के कारण खर्राटे लेता हों और इस तरह के कारणों से यदि खर्राटे लेने की आदत पड़ गई हो तो हिपोजेनियम औषधि की 30 या 200 शक्ति लेने से आराम मिलता है।
2. लेम्ना माइनर :- यदि रोगी नाक में रुकावट होने के कारण से खर्राटे लेता हो तो लेम्ना माइनर औषधि की 1x या 3 से 30 शक्ति का प्रयोग करना लाभकारी होता है। इस औषधि के प्रयोग से यदि किसी कारण से खर्राटे लेने की आदत पड़ गई हो तो वह आदत छुट जाती है।
3. पल्सेटिला :- नाक से तेज खड़खड़ाहट की आवाजें आने पर पल्सेटिला औषधि से उपचार करने पर लाभ मिलता है। इस औषधि के प्रयोग करने से गले में अटका हुआ कफ निकल जाता है और बलगम अटकने के कारण से जो रोग के लक्षण प्रकट होते है, वे इसके प्रयोग से दूर हो जाते हैं।
4. ओपियम :- मुंह एवं नाक के अन्दर का भाग ठंडा पड़ जाता है जिससे सांस नली में रुकावट पैदा होती है और नाक से खड़खड़ाहट की तेज आवाजें आती हैं। ऐसी स्थिति में उपचार के लिए ओपियम औषधि की 3, 30 या 200 शक्ति का प्रयोग करें।
1. हिपोजेनियम :- नाक के अन्दर की झिल्ली में जख्म बनकर सड़ने लगा हो जिसके कारण रोगी खर्राटे लेता हों या नाक के अन्दर पुरानी सूजन के कारण खर्राटे लेता हों और इस तरह के कारणों से यदि खर्राटे लेने की आदत पड़ गई हो तो हिपोजेनियम औषधि की 30 या 200 शक्ति लेने से आराम मिलता है।
2. लेम्ना माइनर :- यदि रोगी नाक में रुकावट होने के कारण से खर्राटे लेता हो तो लेम्ना माइनर औषधि की 1x या 3 से 30 शक्ति का प्रयोग करना लाभकारी होता है। इस औषधि के प्रयोग से यदि किसी कारण से खर्राटे लेने की आदत पड़ गई हो तो वह आदत छुट जाती है।
3. पल्सेटिला :- नाक से तेज खड़खड़ाहट की आवाजें आने पर पल्सेटिला औषधि से उपचार करने पर लाभ मिलता है। इस औषधि के प्रयोग करने से गले में अटका हुआ कफ निकल जाता है और बलगम अटकने के कारण से जो रोग के लक्षण प्रकट होते है, वे इसके प्रयोग से दूर हो जाते हैं।
4. ओपियम :- मुंह एवं नाक के अन्दर का भाग ठंडा पड़ जाता है जिससे सांस नली में रुकावट पैदा होती है और नाक से खड़खड़ाहट की तेज आवाजें आती हैं। ऐसी स्थिति में उपचार के लिए ओपियम औषधि की 3, 30 या 200 शक्ति का प्रयोग करें।
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