डुओडीनम में सूजन या कैंसर (Duodenum Inflammatiion or Cancer)
परिचय :- हमारे द्वारा भोजन करने के बाद भोजन आहार नली से होकर जिस भाग में जाता है उसे डुओडीनम कहते हैं। डुओडीनम छोटी आंत का शुरू का हिस्सा होता है अर्थात छोटी आंत के मुंह वाले भाग को ही डुओडीनम कहते हैं। डुओडीनम का स्थान नाभि से ऊपर दाईं तरफ होती है। कभी-कभी छोटी आंत के शुरुआती भाग में अर्थात डुओडीनम में सूजन या अल्सर (घाव) हो जाता है जिसे लगातार डुओडीनल इन्फ्लेमेंशन तथा डुओडीनल अल्सर कहते हैं।
डुओडीनल की सूजन या अल्सर में प्रयोग की जाने वाली औषधियां-
1. आर्सेनिक ऐल्बम- डुओडीनम (डुओडीनली) में जब कभी सूजन आ जाती है तो सूजन के साथ रोगी को बेचैनी महसूस होती है। रोगी की शारीरिक शक्ति कम हो जाती है, शरीर ढ़ीला पड़ जाता है तथा खाने-पीने के बाद उल्टी और पेट में जलन होने लगती है। ऐसे लक्षणों में रोगी को आर्सेनिक ऐल्बम औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करने से जलन दूर होती और रोग में आराम मिलता है।
2. पोडोफाइलम- डुओडीनम (डुओडीनली) की सूजन के साथ रोगी में विभिन्न लक्षण उत्पन्न होना जैसे- ठण्डा पानी पीने की अधिक इच्छा करना, खाया हुआ खाना उल्टी कर देना तथा उल्टी गाढ़े, काले, हरे पित्त के साथ निकलना, पेट के दाईं ओर दर्द होना तथा सुबह के 3 बजे रोग के लक्षण का बढ़ जाना आदि। इस तरह के लक्षणों से पीड़ित रोगी को पोडोफाइलम औषधि की 3 से 200 शक्ति का उपयोग करना हितकारी होता है।
3. युरैनियम नाइट्रिकम- डुओडीनली में घाव (अल्सर) होने पर युरैनियम नाइट्रिकम औषधि की 2x का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि इस औषधि की क्रिया जलन आदि में तेजी से होती है।
4. औरनिथेगैलम अम्बेलेटम, मूलार्क- डुओडीनली के अल्सर (घाव) होने पर औरनिथेगैलम अम्बेलेटम मूलर्क को शुगर ऑफ मिल्क में 2 बूंद डालकर दिन में एक बार रोगी को देने से डुओडीनली अल्सर में लाभ होता है।
5. सैडमियम सल्फ- डुओडीनली में थैलीनुमा कैंसर (Carcinoma ventriculi) होने पर सैडमियम सल्फ औषधि की 3 से 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
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