Monday, December 9, 2019

आधासीसी दर्द, Migraine or Sick-Headache introduction, reason, precautions and Homeopathic treatment.

आधासीसी दर्द (Migraine or Sick-Headache)
Introduction.
परिचय- यह एक प्रकार का सिरदर्द होता है जिसके कारण सिर के आधे भाग में दर्द होता रहता है और इस दर्द का सम्बंध जिगर से होता है इसलिए इसका अंत प्राय: जी मिचलाने तथा उल्टी आने से होता है। दर्द का असर सिर की गुद्दी से या माथे से शुरू होता है और सिर के एक तरफ इसका असर होता है। जब यह दर्द किसी को होता है तो उसे बड़ा तेज सिर में दर्द होता है जो कभी-कभी असहनीय हो जाता है। सिर को छूने से दर्द होता है लेकिन सिर को दबाने से आराम मिलता है। इस रोग से पीड़ित रोगी रोशनी या शोर को बर्दाश्त नही कर पाता है और अंधेरे कमरे में पड़ा रहना चाहता है। इस दर्द का असर कुछ घंटे या दो एक दिन तक रहता है। आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। यह रोग स्त्रियों को अधिक होता है और उनकी मासिकधर्म के शुरू के समय में यह रोग उन्हें अधिक होता है। इस रोग में उल्टी भी आती है क्योंकि प्रकृति शरीर के पित्त आदि विकारों को बाहर निकाल फेंकना चाहती है। यह रोग पन्द्रह दिन में एक बार या डेढ़ महीने में एक बार या फिर तीन महीने पर एक बार हो सकता है। जब यह रोग होता है तो रोगी के सिर में थोड़ा-थोड़ा दर्द शुरू हो जाता है और वह बेचैन हो जाता है और उसकी तबीयत बहुत अधिक खराब हो जाती है।

यह रोग की अवस्था में पाकाशय (मालाशय) या अनुभावक स्नायुओं की गड़बड़ी के साथ माथे के आधे भाग में दर्द होता है। यह पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को अधिक होता है। जिस वंश में यह रोग ज्यादा होता है उनके आने वाले वंशों में भी यह रोग अधिकतर होता है।
Reasons.

आधे सिर में दर्द होने के निम्नलिखित कारण होते हैं-

अधिक तनाव युक्त कार्य करने या मानसिक परिश्रम अधिक करने से यह रोग हो सकता है।
चॉकलेट, पनीर, लाल शराब आदि उत्तेजक पदार्थों का सेवन करने के कारण से भी आधे सिर का दर्द होता है।
स्त्रियों में यह रोग अधिकतर मासिकधर्म में रुकावट आने के कारण होता है।
अधिक उपवास या व्रत रखने के कारण से यह रोग उत्पन्न होता है।
गर्भनिरोधक गोलियों का अधिक मात्रा में सेवन करने से आधे सिर में दर्द हो सकता है।

Homeopathic Medicines.
विभिन्न औषधियों से चिकित्सा-


1. चियोनैनथस- यह वैसे तो जिगर के रोग को ठीक करने की प्रमुख औषधि है। इस औषधि से उपचार करने के लिए इसके मूल-अर्क या पहली शक्ति की दो से चार मात्राएं कई सप्ताह तक लगातार सेवन करना चाहिए। इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर में दर्द हल्का हो और इसका असर आंखों के ऊपर हो तथा आंखों के गोलकों में तेज दर्द हो, नाक की जड़ में भारीपन हो, झुकने से दर्द बढ़ रहा हो, हाथ-पैर चलाने से रोग के लक्षणों में वृद्धि हो रही हो और दर्द हो तो उपचार करने के लिए इस औषधि का उपयोग करना लाभदायक है। स्त्री को मासिकधर्म शुरू होने पर सिर में दर्द हो या पित्त से सम्बंधित लक्षण होने के साथ ही सिर के आधे भाग में दर्द हो रहा हो तो चियोनैनथस औषधि का उपयोग करना बहुत अधिक लाभदायक है।

2. सैंग्वनेरिया- यदि रोगी के सिर में दर्द दांयीं तरफ के भाग में अधिक हो रहा हो और सूर्य के गर्मी के कारण रोग के लक्षणों में वृद्धि हो रही हो तो उपचार करने के लिए सैंग्वनेरिया औषधि के मूल-अर्क की कुछ बून्दों का उपयोग करना चाहिए। रोगी के सिर के आधे भाग में एक निश्चित समय पर दर्द हो रहा हो तो उसका उपचार करने के लिए सैंग्वनेरिया औषधि के मूल-अर्क, 3 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं। सिर की गुद्दी में दर्द शुरू हो गया हो और इसका असर ऊपर की ओर चढ़ता हुआ महसूस हो रहा हो, दांयीं आंख के ऊपर इसका दर्द आकर रुक गया हो तो इस प्रकार के लक्षण को भी ठीक करने में सैंग्वनेरिया औषधि उपयोगी है। आधे सिर के दर्द को ठीक करने के लिए सैंग्वनेरिया औषधि की 3X मात्रा या 200 शक्ति का भी प्रयोग कर सकते हैं।स्त्रियों के मासिकधर्म रुक जाने के समय के बाद सातवें दिन में आधे सिर में दर्द हो रहा हो तो सैंग्वनेरिया औषधि से उपचार करना अधिक लाभदायक होता है।

3. कैलि बाईक्रोम- रोगी के सिर के एक भाग की तरफ दर्द होता है और सिर में छोटी-छोटी जगहों पर इस दर्द का असर रहता है। इस प्रकार का दर्द सिर में जुकाम के दब जाने के कारण होता है। माथे में तथा आंखों के ऊपर सिर दर्द का असर होता है, भोंहों के ऊपर भी दर्द होता है जिसका कारण रेशे जम जाना है। सिर दर्द होने से पहले आंखें चुंधियाती है। ऐसे रोगी के रोग की चिकित्सा करने के लिए कैलि बाईक्रोम औषधि की 3 या 30 शक्ति का प्रयोग करने से अधिक लाभ मिल सकता है।

4. नैट्रम म्यूर- रोगी के सिर के आधे भाग में ऐसा दर्द होता है कि सिर आधा हो जाएगा। सुबह के समय में उठने पर ऐसा सिर दर्द होता है कि मानो दिमाग पर हजारों छोटे-छोटे हथौड़ों से चोट मारी जा रही हो, स्त्री रोगी को मासिकधर्म होने के बाद सिर में ऐसा दर्द होता है, सूर्योदय से सूर्यास्त तक दर्द का असर रहता है। ऐसे रोगी के रोग का उपचार करने के लिए नैट्रम म्यूर औषधि की 12 या 30 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है। छोटी कन्याओं जो अधिक कमजोर हो तथा शरीर में खून बहुत कम हो, ऐसे बच्चें जब स्कूल से पढ़ कर आती हैं तो सिर दर्द होता है या उनका यह रोग पुराना हो, सिर के एक तरफ दर्द होता हो, इसके साथ ही जी मिचलाने लगता हो, उल्टी भी आती हो, निश्चित समय पर सिर दर्द हो रहा हो तो ऐसे रोगियों के रोग की चिकित्सा करने के लिए नैट्रम म्यूर औषधि का उपयोग करना लाभदायक है। सिर के सामने के भाग में साइनस में सूजन हो गया हो और सिर में दर्द हो तो उपचार करने के लिए नैट्रम म्यूर औषधि का सेवन करना चाहिए।


5. नैट्रम सल्फ- नैट्रम सल्फ औषधि जिगर के रोग को ठीक करने में बहुत लाभकारी है। यदि रोगी के आधे सिर में दर्द बरसाती मौसम में, सीलन से, पानी के आस-पास होने वाली सब्जियां खाने से, मछली खाने से हो गई हो और इस प्रकार के लक्षण हों जैसे- सिर दर्द गुद्दी में हो रहा हो और सिर के आधे भाग में दर्द हो रहा हो तो नैट्रम सल्फ औषधि की 12X मात्रा का प्रयोग करने से रोग ठीक हो सकता है। यदि आधे सिर में दर्द हर बसंत ऋतु के आने के साथ ही त्वचा के रोग हो जाने या सीलन वाली जगह पर रहने कारण से हो और तथा कनपटी में कुरेदने जैसा दर्द हो रहा हो तो रोग को ठीक करने के लिए नैट्रम सल्फ औषधि का प्रयोग करना अधिक लाभदायक है।

6. ओनोस्मोडियम- रोगी जब सुबह के समय में उठता है तो उसके गुद्दी तथा माथे पर दर्द होता है और दर्द खासकर सिर के बांयीं तरफ होता है, कनपटियों तथा कान के पीछे के हड्डी में दर्द होता है, आंखों पर भारीपन महसूस हो रहा हो या शरीर में कमजोरी आने के कारण सिर दर्द हो तो ओनोस्मोडियम औषधि की 30 शक्ति का सेवन करने से लाभ मिलता है। रोगी में इस प्रकार के लक्षण भी होते हैं- अधिक कमजोरी आ जाती है, स्त्रियों में संभोग करने की शक्ति नहीं रहती हैं।


7. सोरिनम- आधे सिर में दर्द से पीड़ित रोगी जब रात को सोते-सोते उठ बैठता है मानो किसी ने सिर पर चोट दे मारी हो तो ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए सोरिनम औषधि की 200 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है।यदि रोगी का यह रोग बहुत पुराना है और इस प्रकार के लक्षण हों जैसे- सिर-दर्द के होने से रोगी को भूख लगती हो, ऐसा महसूस होता हो कि हथौड़े के लगने जैसा दर्द हो रहा है, रोगी शीत-प्रधान हो, गर्मी में भी गर्म कपड़े लपेटे रहता हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए सोरिनम औषधि का उपयोग फायदेमंद है।

8. साइलीशिया- सिर की गुद्दी से दर्द शुरू होना, दर्द का असर सिर पर फैलना, आंखों के ऊपर दर्द का असर होना। इस प्रकार के लक्षण से पीड़ित रोगी जब सिर पर गर्म कपड़े लपेट लेता है तो उसे आराम मिलता है। ऐसे रोगी के रोग का उपचार करने के लिए साइलीशिया औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना लाभकारी है। इस औषधि का प्रयोग करते समय रोगी में इस प्रकार के लक्षणों को भी ध्यान में रखना चाहिए जैसे- रोग के लक्षण समय-समय पर लौट आना, सिर दर्द होना, अकड़न होना, गला पकना, मिर्गी के दौरे पड़ना, फोड़े-फुंसी होना आदि। इस प्रकार के लक्षण रोगी में समय-समय पर ठीक होकर दूबारा से होते रहते हैं। रोगी शीत-प्रधान होता है, आग के पास बैठने का मन करता है, गर्म कपड़े लपेटने का मन करता है, हवा के झोके बर्दास्त नहीं होता है, हाथ-पैर ठण्डे रहते हैं, सर्दियों में रोग का प्रभाव बढ़ जाता है।



9. थूजा- आधे सिर में दर्द की चिकित्सा करने के लिए थूजा औषधि की 6 या 200 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।

10. सैलिसिलेट आफ सोडा- आधे सिर के दर्द से पीड़ित रोगी के रोग की चिकित्सा करने के लिए सैलिसिलेट आफ सोडा औषधि की 20 या 30 ग्रेन प्रयोग करना चाहिए।

11. रोबिना- रोगी के पेट में अम्ल पदार्थ ज्यादा होने से सिर में दर्द हो रहा हो और सिर दर्द के साथ अम्लीय पदार्थ की उल्टी हो रही हो, सिर के सामने के भाग में हल्का-हल्का दर्द हो, पढ़ने-लिखने से रोग के लक्षणों में वृद्धि हो, दर्द ऐसा होता है जैसे टनक मारने वाला हो। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए रोबिना औषधि की 3 शक्ति से उपचार करना लाभकारी होता है। यदि आधे सिर में दर्द होने का कारण पेट में अम्लीय पदार्थ है तो इस औषधि से उपचार करना अति लाभदायक है, ऐसे रोगी को खट्टी डंकारे आती हैं, उम्लीय तथा चुभने वाली उल्टी आ जाती है, ऐसे लक्षण हो तो रोग को ठीक करने के लिए रोबिना औषधि का उपयोग करना चाहिए। इस औषधि का सेवन देर तक करना पड़ सकता है।

12. सल्फर- आधे सिर दर्द से पीड़ित रोगी के सिर में एक निश्चित समय पर दर्द हो रहा हो और बार-बार दर्द हो रहा हो, कनपटियों में भारीपन महसूस हो रही हो, ऐसा लग हो रहा हो कि सिर पर भारी बोझ रखा हुआ हो, सिर में दबाव महसूस हो रहा हो तो चिकित्सा करने के लिए सल्फर औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग किया जा सकता है।

13. प्रुनस-स्पाइनोसा- आधे सिर के दर्द को ठीक करने के लिए प्रुनस-स्पाइनोसा औषधि की 3 या 6 शक्ति की मात्रा का सेवन करना अधिक लाभकारी होता है। आधे सिर के दर्द को ठीक करने के लिए इन औषधियों का भी उपयोग कर सकते हैं जैसे- विरेट्रम-विर औषधि की 3X मात्रा, इपिकाक औषधि की 30 शक्ति, ड्यूबोइसिन औषधि की 3X मात्रा, एट्रोपिन औषधि की 3X मात्रा या 30 शक्ति, स्ट्रिकनिया औषधि की 30 शक्ति, केनाबिस-इण्डिका औषधि की 3X मात्रा, या हायोसियामिन-हाइड्रोब्रोमेटम की 6X मात्रा चूर्ण आदि।




अन्य चिकित्सा :- other treatments and precautions.

आधे सिर में दर्द से पीड़ित रोगी को घर में बत्ती बुझाकर सोना चाहिए
रोगी को पतली तरल पदार्थ वाली चीजों का सेवन करना चाहिए।
रोगी के सिर के दर्द से कुछ आराम देने के लिए उसके सिर पर गर्म पानी की पट्टी लगानी चाहिए या फिर सरसों की गर्म पोल्टीस गर्दन के नीचे और पीठ पर लगानी चाहिए।
आधे सिर में दर्द से पीड़ित रोगी को दर्द से राहत पाने के लिए कभी भी अफीम मिली दवाईयों या जुलाव आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे हानि होती है।
इस रोग से बचने के लिए सबसे पहले तनाव से बचना चाहिए तथा मानसिक चिंता-फिक्र भी नहीं करना चाहिए।


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