Sunday, December 8, 2019

Albuminuria introduction and Homeopathic medicine पेशाब में ऐलब्यूमिना आना

पेशाब में ऐलब्यूमिना आना (Albuminuria)


परिचय :- शरीर में मौजूद दूषित कण को पानी के साथ बाहर निकालने तथा आवश्यक तत्व को शरीर में वापस भेजने का काम गुर्दे करते हैं। जब किसी कारण से गुर्दे में सूजन आ जाती है तो गुर्दे अपने काम को ठीक से नहीं कर पाते हैं जिससे शरीर के आवश्यक तत्व भी पेशाब के द्वारा बाहर निकलने लगते हैं। रोगी में मूत्र-ग्रन्थि की जलन अधिक पुरानी हो जाने पर पेशाब के साथ खून की जलीय अंश निकलने लगता है जिसे अण्डलालयुक्त मूत्र कहते हैं। गुर्दे की सूजन को नेफ्राइटिस या ब्राइट्स कहते हैं। इस रोग से ग्रस्त रोगी में बुखार, प्यास अधिक लगती है, जी मिचलाता है, बार-बार पेशाब करने की इच्छा होती है, पेशाब अधिक मात्रा में आता है तथा अण्डे की तरह सफेदी मिला हुआ पेशाब आता रहता है, हाथ-पैर व चेहरा फूल जाते हैं, शरीर में खून की कमी होने लगती है,सूजन आ जाती है तथा मस्तिष्क या जिगर का रोग उत्पन्न होने लगता है, पेशाब में ऐलब्यूमिना आता है तथा खून मिला हुआ पेशाब आने के साथ शरीर में सूजन आ जाती है।
ऐसी स्थिति में रोगी का उपचार न कराने पर रोग अधिक भयंकर हो जाता है और अन्त में रोगी मर जाता है। ऐसे लक्षणों में रोगी को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग किया जाता है। इस रोग को ठीक करने के लिए मुख्य रूप से एपिस, ऐकोनाइट, कैनेबिस सैटाइवा, कैन्थरिस, आर्सेनिक, सल्फर तथा मर्क-कौर का प्रयोग किया जाता है।
साण्डलाल मूत्र रोग होने का मुख्य कारण बुखार का अधिक आना, शरीर में जलन होना, श्वेतप्रदर रोग,आंतों का रोग अधिक पुराना होना, पाचनतन्त्र खराब होने के कारण खाना हजम न होना, अधिक अण्डलाल मिला हुआ भोजन आना तथा अधिक देर तक ठण्डे पानी से नहाना आदि है।
पेशाब में ऐलब्यूमिना आना के रोग में प्रयोग की जाने वाली औषधियां :-
1. एपिस :- जब किसी रोगी के पेशाब में ऐलब्यूमिना की मात्रा बढ़ जाती है तो रोगी के पूरे शरीर में सूजन आ जाती है विशेषकर चेहरे पर। आंखों की ऊपर पलकें सूज जाती हैं, रोगी को प्यास अधिक लगने लगती है तथा पसीना अधिक आता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को एपिस औषधि की निम्न शक्ति या मूलार्क का सेवन कराना हितकारी होता है।
2. ऐकोनाइट :- पेशाब में ऐलब्यूमिना आने के शुरुआती अवस्था में ही रोगी को ऐकोनाइट औषधि की 3 शक्ति का सेवन कराना लाभकारी होता है।
3. कैनेबिस सैटाइवा :- यदि रोगी के पेशाब में ऐलब्यूमिना आने के लक्षण काफी समय से चला आ रहा है तो उसे कैनेबिस सैटाइवा औषधि की 3 शक्ति या मूलार्क का सेवन कराना चाहिए।
4. कैन्थरिस :- इस रोग से ग्रस्त रोगी में उत्पन्न विभिन्न लक्षण जैसे- पेशाब में जलन होना और खून मिला पेशाब बूंद-बूंद आना। पेशाब करने के बाद मूत्रनली में तेज जलन होना या हल्की चिड़चिड़ाहट होना। कभी-कभी पेशाब में मसाने की झिल्ली के टुकड़े भी आना। इस तरह के लक्षणों से पीड़ित रोगी को कैन्थरिस औषधि की 6 या 30 शक्ति का सेवन कराना अधिक लाभकारी होता है।
5. आर्सेनिक :- इस रोग के नए लक्षणों में इस औषधि का प्रयोग करना हितकारी होता है। पेशाब में ऐलब्यूमिना आने के साथ हाथ-पैर व आंखों की पलकों में सूजन आ जाने के बाद सारे शरीर में सूजन आ जाती है। शरीर पर ठण्डा पसीना आता है फिर भी जलन महसूस होती है। बेचैनी, कमजोरी, थोड़ी-थोड़ी देर में तेज प्यास लगती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को आर्सेनिक औषधि की 30 या 200 शक्ति का सेवन कराना चाहिए।
6. सल्फर :- यदि मसाने में पस पड़ गए हो और मसाने कमजोर हो गया हो तो ऐसे लक्षणों में सल्फर औषधि की 30 शक्ति का उपयोग किया जाता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को लाइकोपोडियम औषधि भी देना उचित होता है।
7. मर्क-कौर :- गर्भावस्था में यदि मसाने की सूजन हो जाने के कारण पेशाब से ऐलब्यूमिना आता हो तो उस स्त्री के लिए मर्क-कौर औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराना हितकारी होता है।
8. कौक का लिम्फ :- पेशाब में ऐलब्यूमिना आने पर रोगी को कौक का लिम्फ औषधि की 6 शक्ति का सेवन कराना हितकारी होता है।
9. ऐकोन :- साण्डलाल रोग होने पर रोग के शुरुआती अवस्था में ऐकोन औषधि की 3x औषधि का सेवन कराना चाहिए।
10. एसिड-फास या हेलोनियम :- इस रोग के साथ यदि रोगी में स्नायविक उत्तेजना रहती हो तो रोगी को एसिड-फास औषधि की 2x या 3 शक्ति या हेलोनियम औषधि की 3x औषधि का प्रयोग करना हितकारी होता है।
11. लाईको-टेरिबिन्थ :- मूत्र-मार्ग रोग ग्रस्त होने के कारण पेशाब में ऐलब्यूमिना आता हो तो रोगी को लाइको 6 या टेरिबिन्थ 3 शक्ति का सेवन कराना लाभकारी होता है।
12. ऐपोसाइनम :- मूत्र-मार्ग में सूजन आ जाने या अन्य रोग होने के कारण पेशाब में ऐलब्यूमिना आता हो तो ऐपोसाइनम- θ औषधि का प्रयोग करें।
13. आर्स :-
  • यदि रोगी के पेशाब में ऐलब्यूमिना आता है और उसमें सुस्ती, बेचैनी, घबड़ाहट, अधिक प्यास, शरीर ठण्डा परन्तु अन्दर गर्मी महसूस होना आदि लक्षण दिखाई दे तो उसे 3x या 30 शक्ति का सेवन कराना हितकारी होता है।
  • पेशाब के साथ ऐलब्यूमिना आने पर रोग को ठीक करने के लिए प्रयोग की जाने वाली औषधियों के साथ अधिक लाभ के लिए बीच-बीच में एपिस, आर्ज-नाई आरम, कैन्थ, लैके, सल्फ आदि की भी आश्यकता पड़ सकती है।
14. सिर्फ दूध पीना :- पेशाब में ऐलब्यूमिना आने के लक्षणों में रोगी को दूध पीना चाहिए। इससे काफी लाभ मिलता है। नमक का सेवन करना भी इस रोग में लाभकारी होता है। ऊनी कपड़े पहनना, नहाते समय तौलिया से अच्छी तरह शरीर को पोंछना आदि से रोग में लाभ होता है। मांस, मछली तथा उत्तेजक पदार्थ का सेवन हानिकारक होता है।


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