Friday, December 13, 2019

सिरदर्द (Headache) Introduction, Symptoms, Causes, Precautions, Homeopathic medicines

सिरदर्द (Headache)




परिचय- सिर में दर्द होना कई बार तो बहुत सी बीमारियों का लक्षण भी होता है। सिर-दर्द से पीड़ित बहुत से रोगियों में तेज दर्द होता है तो बहुत से में कम। इस रोग में माथे पर तेज दर्द होता है, भूख भी नहीं लगती है, मुंह लसदार हो जाता है, उल्टी आती है तथा जी भी मिचलाती है।

सिर दर्द को ठीक करने के लिए होम्योपैथी चिकित्सा के अनुसार लक्षणों के अधार पर औषधियों का चुनाव करना अधिक कठिन होता है। यदि सिर दर्द को ठीक करने के कारणों को वर्गीकरण कर लिया जाए तब ठीक औषधि का चुनाव करना आसान हो जाता है।


सिर-दर्द के कारणों को निम्न भागों में बांटा जा सकता हैं-

सिर या किसी अंग में खून जमा होने के कारण से उत्पन्न सिर दर्द (कोनगेस्टिव हैडेक)
श्लैष्मिक-झिल्ली में शोथ (जुकाम) होने से उत्पन्न सिर दर्द (केटरल हैडेक)
आधासीसी-दर्द (आधा सिर में दर्द) (हेमिक्रेनिया ओर माइग्रेन)
पाकाशय की गड़बड़ी से उत्पन्न सिर में दर्द (ग्रैस्टिक हैडेक)
वात-व्याधि के कारण से उत्पन्न सिर में दर्द (र्हेयुमेटिक हैडेक)
पित्त-प्रकृति के रोगियों का सिर में दर्द (बीलियस हैडेक)
इस प्रकार के सिर दर्द को ठीक करने के लिए औषधि का चुनाव करने के लिए कारणों को ठूंडकर और पता लगाए कि किस परिस्थिति में रोग बढ़ता है, किस में घटता है और किस प्रकार के अन्य किसी कष्ट के साथ सिर-दर्द जुड़ा हुआ रहता है। उदाहरण के लिए सिर दर्द सूर्य निकलने के साथ बढ़ता, सूर्य ढलने के साथ घटता हो, दिन को न होता हो, रात को होता हो, इसका किसी परिस्थिति के साथ सम्बंध है, कब्ज के साथ सिर दर्द होता है, चोटलगने पर सिर दर्द है या किसी कष्ट के साथ यह जुड़ा है। इसलिए इन सब कारणों और लक्षणों को समझकर ही औषधियों से सिर दर्द को ठीक करना चाहिए।

सिर-दर्द कई कारणों से होता हैं :-

अधिकतर सिर-दर्द गर्दन की पेशियों या खोपड़ी में तनाव उत्पन्न होने के कारण से होता है।
किसी चीज पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने के कारण से मस्तिष्क में खिचाव उत्पन्न होता है जिसके कारण से सिर-दर्द हो सकता है।
आंखों में थकान या दर्द होने के कारण भी सिर-दर्द होता है क्योंकि किसी चीज पर बहुत देर तक ध्यान करके देखने से दृष्टि दोष उत्पन्न होती है।
कई प्रकार के चीजों का सेवन करने से सिर-दर्द हो सकता है जैसे- शराब, पनीर तथा अन्य उत्तेजक पदार्थ।
सिर में दर्द और भी कई कारणों से होता है जैसे- मौसम परिवर्तन, हारमोन्स की गड़बड़ी तथा भावात्मक दशा।

सिर-दर्द का लक्षण :-

सिर में दर्द अचानक होता है और इसके बाद उल्टियां आती है, दृष्टि धुंधली पड़ जाती है। सिर में दर्द कभी एक भाग में होता है तो कभी पुरे भाग में। दर्द कभी प्रतिदिन एक ही समय पर होता है तो कभी अलग-अलग समय पर और कभी दर्द हल्का होता है तो कभी तेज। सिर में दर्द दृष्टि कमजोर होने के कारण से हो रहा हो या तनाव के कारण से हो रहा हो, ऐसी अवस्था में रोगी को ऐसा महसूस होता है कि सिर के चारों ओर कोई पट्टी बंधी है और चारों तरफ हल्का-हल्का दर्द हो रहा है। साइनस रोग के होने के कारण से सिर में जलन होने के साथ दर्द महसूस होता है। आंतरिक रक्तस्राव होने के कारण से सिर में तेज दर्द होता है और ऐसा लगता है जैसे किसी ने सिर पर चोट मार दी है। मस्तिष्क में जलन होने के कारण से सिर में दर्द होता है, इस दर्द से पीड़ित जब रोगी रोशनी में जाता है तो दर्द और भी बढ़ने लगता है।

सिर-दर्द होने पर क्या करें और क्या न करें :-

सिर-दर्द से पीड़ित रोगी को शराब, पनीर, मूंगफली, कॉफी और बादाम को सेवन नहीं करना चाहिए।
सिर के आधे भाग में दर्द होता हो तो पैष्टिक खुराके लेनी चाहिए और लक्षणों के अधार पर औषधि का प्रयोग करके रोग को ठीक करना चाहिए।
रोगी के सिर में दर्द होने के अवस्था में कुछ न कुछ खाना अच्छा होता है।
सिर में दर्द फकड़न होने के साथ हो रहा हो तो माथे पर कपड़े की पट्टी बांधने से फायदा मिलता है।
सिर दर्द से पीड़ित रोगी को आराम करना चाहिए और थोड़ी मात्रा में खूब गर्म चाय या कॉफी पीना फायदामंद होता है।
सिर-दर्द होने पर चिकित्सक से सलाह लेकर उचित विटामिनों का सेवन करना चाहिए।
रोगी को कभी भी बिना चिकित्सक के सलाह लिए दवा नहीं सेवन कराना चाहिए।
यदि तनाव या चिंता-फिक्र के कारण से सिर दर्द हो रहा हो तो इन कारणों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
यदि शोरयुक्त माहौल, टी.वी. देखने या रोशनी के कारण से सिर में दर्द हो रहा हो तो इन कारणों से बचना चाहिए।
जब तक सिर दर्द ठीक नहीं हो तब तक एक अंधेरे कमरे में माथे पर पट्टी बांध कर आराम करना चाहिए।

सिर-दर्द नया होने पर औषधियों से उपचार :-

1. ब्रायो :- रोगी के सिर में दर्द नया हो तथा इसके साथ ही उल्टी आए तो रोग की चिकित्सा करने के लिए ब्रायो औषधि उपयोगी है।

2. नक्स वोमिका :- यदि रोगी का सिर-दर्द नया हो और उसके माथे में खून जमा होने के कारण से यह रोग हो गया हो तथा इसके साथ ही सिर में चक्करआ रहा हो और कब्ज की समस्या हो तो नक्स वोमिका औषधि से उपचार करना लाभकारी होता है।

3. बेल :- रोगी के सिर में दर्द होने का रोग नया हो तथा इसके साथ ही चेहरा लाल, आंखें गर्म या बड़ी महसूस हो तो बेल औषधि से उपचार करें।


4. ग्लोनाइन :- टनक जैसा दर्द हो, दर्द ऐसा महसूस हो रहा हो कि मानो सिर फट पढ़ेगा और यह रोग नया हो तो उपचार करने के लिए ग्लोनाइन औषधि का उपयोग फायेदमंद है।

5. विरे-ऐल्ब :- उल्टी आने के कारण से सिर में दर्द हो रहा हो तथा इसके साथ ही शरीर में सुस्ती आ रही हो और शरीर से ठंडा पसीना आ रहा हो तो इस रोग को ठीक करने के लिए विरे-ऐल्ब औषधि से प्रयोग करना चाहिए।

6. काक्युलस :- सिर का दर्द नया रोग हो तथा इसके साथ ही उल्टी आना, जी मिचलाना, मुंह से थोड़ा पानी और बलगम निकलना आदि लक्षण होने पर उपचार करने के लिए काक्युलस औषधि का उपयोग अधिक लाभदायक है।


7. काफिया :- स्नायुविक सिर-दर्द होने के साथ ही नींद न आने पर रोग को ठीक करने के लिए काफिया औषधि का उपयोग उचित है।

8. सिमिसिफ्यूगा :- यदि किसी स्त्री को सिर में दर्द की शिकायत हिस्टीरियां रोग के कारण से है तथा खासकर के मासिकधर्म से सम्बंधित गड़बड़ी होने के कारण से है तो रोग को ठीक करने के लिए सिमिसिफ्यूगा औषधि का उपयोग लाभकारी है।

9. ऐकोन :- सर्दी लगने के कारण से सिर में दर्द हो या रक्त-संचारण में गड़बड़ी होने के कारण से सिर-दर्द हो रहा हो तो चिकित्सा करने के लिए ऐकोनऔषधि का उपयोग फायदेमंद है।


10. आइरिस :- सिर में दर्द होने के साथ ही बहुत ज्यादा पित्त की उल्टी होने पर आइरिस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

सिर-दर्द पुराना होने पर औषधियों से उपचार :-

सिर-दर्द यदि अधिक पुराना हो चुका हो तो उसे ठीक करने के लिए कैल्के-कार्ब, किनिनम-सल्फ, सल्फर, नेट्रम-म्यूर औषधियों की 3x मात्रा से 30 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक है।
पुराने सिर-दर्द का उपचार करने के लिए सैंगुइनेरिया, सिपिया, कैलि-बाई, कैल-कार्ब, नक्स-वोम, काक्यु, आर्स औषधियों की 6 से 30 शक्ति का उपयोग लाभकारी है।
यदि सिर-दर्द स्नायविक कमजोरी के कारण से हो और वह पुराना हो गया हो तो उसे ठीक करने के लिए जिंकम औषधि का उपयोग कर सकते हैं।

सिर-दर्द को ठीक करने के लिए लक्षणों के आधार पर
औषधियों से चिकित्सा :-

1. ऐकोनाइट :- रोगी के शरीर में रक्त-संचय होने के कारण से पैदा हुए सिर-दर्द तथा यह तेज दर्द हो और ऐसा महसूस हो रहा हो कि सिर फटा जा रहा है। इस प्रकार के लक्षण रोगी में हो तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइट औषधि की 6 से 30 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं। सिर के आधे भाग में दर्द हो रहा हो तथा इसके साथ ही कभी-कभी माथे पर और कनपट्टी पर और यहां तक कि आंखों पर भी दर्द हो रहा हो तो उपचार करने के लिए ऐकोनाइट औषधि की 6 से 30 शक्ति उपयोगी है। सिर दर्द हो रहा हो तथा हिलने-डुलने, सिर को झुकाने पर दर्द और तेज हो जाता है और आराम करने पर कुछ दर्द कम होता है। इस प्रकार के लक्षण होने पर रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइट औषधि की 6 से 30 शक्ति अत्यंत लाभकारी है।

2. जेलसिमियम :- रोगी के सिर में दर्द होने के साथ ही चारों ओर अंधेरा दिखाई देता है और ऐसा लगता है कि वह अंध हो गया है। रोगी का सिर गर्म होता है और गर्दन में अधिक दर्द होता है। सिर के पीछे की ओर गर्दन में दर्द अधिक होता है। रोगी का चेहरा और आंखें लाल पड़ जाती है और दर्द के कारण से रोगी बिल्कुल ही घबड़ा जाता है और सिर सुन्न हो जाता है। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिएजेलसिमियम औषधि की 3 शक्ति का उपयोग लाभदायक है।

3. बेलेडोना :- सिर में टपक होने के समान दर्द होना, रोशनी या कोई आवाज बिल्कुल सहन न होना, सिर में तेज दर्द होना, दर्द एकाएक शुरू और बंद होता है। रोगी का चेहरा एकदम लाल हो जाता है और गर्म हो जाता है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए बेलेडोना औषधि की 3, 6 या 30 शक्ति का उपयोग किया जा सकता है।


4. मेलिलोटस :- रक्त-संचय होने के कारण से तेज सिर में दर्द होता है, ऐसा महसूस होता है कि सिर फट रहा है। सिर-दर्द के कारण से रोगी दु:खी होकर अपने माथा को पटकने लगता है या पागलों की तरह प्रलाप करने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग का उपचार करने के लिएमेलिलोटस औषधि की मदरटिंचार तथा 1x मात्रा दो से एक दिन तक उपयोग करने फायदा मिलता है।

5. क्रोटेलस :- रोगी के सिर में दर्द होता है और वह चुपचाप पड़ा रहता है या रोगी लगड़ाकर चलता है। रोगी जब जोर से चलता है या कुछ बड़बड़ाता है या घूमता है तो उसकी तकलीफ कम हो जाती है। रोगी की ऐसी अवस्था में उपचार करने के लिए क्रोटेलस औषधि की 6 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।

6. आर्निका :- रोगी के सिर में खून जामा होने तथा स्नायुविक कमजोरी के कारण से दर्द हो रहा हो, आंखों की पलकें भारी महसूस हो रही हो, आंखों के आगे अंधेरा-अंधेरा दिखाई दे, आंखें लाल, आंखों में जलन, सिर गर्म रहना, कनपटी, सिर और गर्दन में अकड़न होना, रोशनी, ऊंची आवाज, हिलना-डुलना और सोने से रोग के लक्षणों में वृद्धि हो और शांत रहने से रोग के लक्षण कम होना आदि प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका औषधि की 6, 12 या 30 शक्ति का उपयोग करने से फायदा मिलता है।


7. इग्नेशिया :- रोगी के सिर में दर्द होने के साथ ही उसे हर कम में जल्दी लगी रहती है, चिड़चिड़ा स्वभाव का हो जाता है, रोगी के सिर में दर्द मानसिक उत्तेजना के कारण से होता है। रोगी के सिर में दर्द दु:ख के कारण से होता है। तिल्ली बढ़ने के रोग से पीड़ित रोगी के सिर में दर्द हो, रोगी के सिर में ऐसा दर्द हो कि जैसे सिर में कील गाड़ी जा रही है और दर्द एक ही तरफ रुका रहता है। ऐसे रोगी के रोग का उपचार करने के लिए इग्नेशिया औषधि की 3, 6 या 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग किया जाता है।

8. नाइट्रिक एसिड :- सिर के पीछे के भाग में दर्द होने पर उपचार करने के लिए नाइट्रिक एसिड औषधि का उपयोग लाभकारी है।

9. मैग्नशिया-फास :- यदि रोगी के सिर में इतना तेज दर्द हो रहा हो कि जो सहन न हो सके, दर्द रोग के सिर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता रहता हो, कभी-कभी दर्द ठीक हो जाता हो और तो कभी ठीक होकर दूबारे से होने लगता है। ऐसे पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मैग्नशिया-फास औषधि की 2x या 12x मात्रा का प्रयोग करना फायदेमंद है।


10. ब्रायोनिया :-

सिर में खून जमा होने के कारण से सिर में दर्द होने लगता है, सिर में चक्कर आता है, सिर ज्यादा भारी महसूस होता है, सिर को झुकाने से ऐसा महसूस होता है, रोगी को ऐसा महसूस होता है कि सिर की सारी चीजें बाहर निकल पड़ेगी, माथे और कनपटी पर दर्द होता है, सिर को दबाने से दर्द महसूस होता है, सिर के आधे भाग में कभी-कभी दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ब्रायोनिया औषधि की 3, 6, 12 या 30 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होता है।
रोगी को बार-बार डकारें आती है तथा कब्ज की समस्या होती है और पित्त की उल्टी होती है तथा इसके साथ ही सिर में दर्द होता है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ब्रायोनिया औषधि की 3, 6, 12 या 30 शक्ति का उपयोग लाभदायक है।
रोगी के सिर में दर्द होने के साथ ही नाक से खून बहने लगता है, सिर में दर्द ऐसा होता है कि मानो वह फट जाएगा। ऐसे रोगी के रोग का उपचार करने के लिए ब्रायोनिया औषधि की 3 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।

11. कैल्केरिया-कार्ब :- रोगी के सिर में दर्द अधिक मानसिक चिंता के कारण से होता है, सिर में जोर का दर्द होता है, रात में शरीर के ऊपरी अंग से बहुत अधिक पसीना निकलता है, खाली पेट रहने से बार-बार डकारें आती है और दिमाग में ठंड महसूस होती है तथा आधे सिर में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए कैल्केरिया-कार्ब औषधि की 6, 12 या 30 शक्ति का उपयोग करना उचित है।

12. चायना :- रोगी के सिर में दर्द होने के साथ ही कान में गुनगुन शब्द सुनाई पड़ता है, चेहरा लाल हो जाता है और शरीर बहुत अधिक कमजोर हो जाती है तथा बार-बार जंहाई आती रहती है। ऐसे रोगी के रोग की चिकित्सा करने के लिए चायना औषधि की 6, 12 या 30 शक्ति का उपयोग किया जाता है।


13. सल्फर :-

रोगी के कपाल या कान के पीछे टपक के समान दर्द होता है, माथे के ऊपरी भाग में गर्मी महसूस होती है, सुबह के समय पतले दस्त आते हैं। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए उसे सल्फर औषधि की 6, 12 या 30 शक्ति का सेवन करायें।
बवासीर रोग से पीड़ित रोगी में खून का स्राव रुक जाने के कारण से मस्तिष्क में खून जमा होकर सिर में चक्कर आने के साथ दर्द हो रहा हो तोसल्फर औषधि से उपचार करना अधिक लाभकारी है।
14. लिलियम-टिग :-

रोगी के सिर के ऊपर के भाग में दर्द होता है और भार महसूस होता है, दोनों हाथों से माथा पकड़े रखने की इच्छा होती है, बाएं कपाल से लेकर सिर के पिछले भाग तक दर्द होता है, सुबह के समय में पतले दस्त होने के साथ ही सिर भारी लगता है, बंद गर्म कमरे में दर्द बढ़ने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लिलियम-टिग औषधि की 6 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।
रोगी स्त्री के मासिकधर्म में गड़बड़ी होने के कारण से सिर में दर्द होता है, खुली हवा में और सूर्यास्त के बाद दर्द कुछ कम होता है। ऐसी स्त्री के रोग का उपचार करने के लिए लिलियम-टिग औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है।
स्त्रियों में गर्भाशय में किसी प्रकार का रोग होने के कारण से सिर में दर्द होता है। स्त्रियों के इस प्रकार के कष्ट को दूर करने के लिए लिलियम-टिग औषधि का उपयोग करना चाहिए।


15. नक्स-वोमिका :-

सिर में चक्कर आता है, माथे पर और कनपटी की शिराओं में फड़कन होती है, फड़कन होने के साथ ही दर्द होता है, उल्टी आती है, कब्ज की समस्या होती है और भोजन करने के बाद, मानसिक परिश्रम करने के बाद और सिर झुकने पर दर्द बढ़ने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए नक्स-वोमिका औषधि की 6, 12 या 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है।
बलगम या रक्त-प्रधान मनुष्यों के सिर में दर्द होता है तथा आधे सिर में दर्द होता है, सुबह के समय में दर्द तेज होता है तथा शाम के समय में दर्द कम हो जाता है। ऐसे रोगी का उपचार करने के लिए नक्स-वोमिका औषधि की 6, 12 या 30 शक्ति का उपयोग करने से फायदा मिलता है।
पाचनयंत्र में गड़बड़ी होने के कारण, बवासीर की वजह से सिर-दर्द हो या शराबियों के सिर में दर्द हो तो ऐसे रोगियों के रोग को ठीक करने के लिए नक्स-वोमिका औषधि की 6, 12 या 30 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होता है।
16. विरेट्रम-विर :- सिर-दर्द होने के साथ ही सिर में भारीपन महसूस होता है, सिर के कई शिराओं में फड़कन होती है तथा बेहोशीपन होने के साथ ही कान में भों-भों की आवाजें सुनाई पड़ती है, अतिसार होने के साथ ही उल्टी आती है और जी मिचलाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए विरेट्रम-विर औषधि 3ग या 30 शक्ति का उपयोग करना अधिक फायदेमंद है।



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